Friday, January 21, 2022

झूंठ बोलने का सच

झूंठ बोलने का सच 

 प्राचीन सभ्यता संस्कृति इस बात को बताती आ रही है कि कभी झूंठ नहीं बोलना चाहिए ,हमेशा सच बोलो , दंड भी दिया जाता है तब भी , मनुष्य मानता ही नहीं। सबसे पहले माँ ही ज्ञान देती है -कभी झूंठ नहीं बोलना , झूंठ के साइड इफेक्ट्स भी बताये जाते हैं ,तब भी, कभी न कभी झूंठ बोला जाता रहा है। माता -पिता अनजाने में बच्चे के सामने ही बोल देते हैं ,पडोसी अंकल आएं तो बोल देना पापा नहीं हैं ,बाहर गए हैं आदि। अजीब स्तिथि निर्मित हो जाती है। बच्चे को समझ नहीं आता क्या ठीक है क्या नहीं। 

पापा भी बच्चे को समझा देते हैं अरे ! मेरा मन ठीक नहीं था तो , बोल दिया। बच्चे को लगा कभी कभी ,बोला जा सकता है और एक रास्ता खुल जाता है। कभी कोई कीमती सामान टूट जाने पर माँ ,बोल देती है पापा को मत बताना ,गुस्सा करेंगे ,यही बात शुरू होती है जब ,बच्चा फिल्म देखकर आता है और माता -पिता से झूंठ बोलता है। हम झूंठ बोलने को मना भी करते हैं और बोलना सिखाते भी हैं। 

बच्चे के मन पर सब छप सा जाता है। स्कूल में होमवर्क के लिए झूंठ तो कभी ,पढ़ने के लिए कभी दोस्तों से झूंठ बोला जायेगा। बच्चा हमेशा पिटने के डर से या डांट के डर से झूंठ बोलता है। माता -पिता से हर बात छुपाकर उसे मजा आता है। वो सोचता है कि माता -पिता को कुछ नहीं पता ,आत्मिक शांति के लिए झूंठ का सहारा लिया जाता है। झूंठ बोलने के लिए बहानों की बाढ़ सी आ जाती है ,कभी बस छूट गई , गाड़ी पंचर हो गई ,तबियत खराब हो गई , दादी मर गई और न जाने क्या -क्या। 

जब ,ज्यादा अपमान हो जाता है तब ,ईश्वर से माफ़ी भी मांग लेते हैं। लोगों को झूंठ बोलने की अनुभूति नहीं होती ,आदत सी हो जाती है। औरतों से यदि पूछा जाये ,उनके पर्स में कितने रुपये हैं तब , जानते हुए भी सही नहीं बतातीं। तुमने ये बोला - तब तुरंत उत्तर मिलेगा नहीं मैंने नहीं बोला। झूंठ के जंजाल में फंसने वाला सोचता है यह लांछन क्यों लगा ? लेकिन मझे हुए व्यक्तियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता ,मनोविकृति के शिकार लोग एक के बाद एक गलती करते रहते हैं। रिश्तों की बुनियाद इन आदतों के कारण हिल जाती है। 

आँखें इधर -उधर चलना , नज़रें न मिलाना ,खाँसना , खुजाना ,आवाज कांपना ,पैर से खोदना ,आदि संकेत हैं जब ,व्यक्ति झूंठ बोलता है। चर्चा वाली बात छोड़कर दूसरी बात करने लगता है। अपनी बात मवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसलिए भाइयो !! झूंठ को न ही बोलो तो अच्छा। 

रेनू शर्मा 































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