Tuesday, January 11, 2022

कर्जा 

नर्मदा के किनारे दूर -दूर तक खेतों में लहराती फसलें दिखाई देती हैं। खेतों के बीच किसान सिर पर स्वाफी बांधे निराई -गुड़ाई करते दिखाई देते हैं। पंक्तिबद्ध हो किसान दिनभर खेतों का श्रृंगार करते रहते हैं। कभी जब रेल यात्रा के समय रात में खेतों के किनारे से रेल जा रही होती है , तब लगता है मानो तारा जमीन पर आ गया हो। कितनी बार हमारी कल्पनाएं पटरियों के सहारे दौड़ती रहती हैं। किसने का मन यही सोचता है कि शिशुपाल का कर्जा कैसे चुकेगा। 

पिछले बरस फसल अच्छी नहीं हुई थी , खलिहान में आग लग गई थी या कहो लगा दी गई थी।  रात को बीड़ी पीकर फेंक दी ,भाई बंधू ही दुश्मन बन गए। ठाकुर से पैसा उठाया ,तय हुआ था फसल आने पर चुका दुंगा लेकिन फसल आने से पहले ही आग लग गई। तभी , मुनीम आ पहुंचा भाई , खेत के बीच में अफीम डाल दे , पैसा भी चुक जायेगा और घर में भी पैसा रहेगा। परेशान किसना मुनीम के जाल में फंस गया। ठाकुर से काम पक्का कर खेत पर चला गया। 

किसना जानता है कि ठाकुर शैतान आदमी है फिर भी अफीम की देख भाल करने लगा। औरत कहती है आज ,खेत नहीं गए तो बहाना बना देता है , बगल वाले खेत पर कुछ सब्जियां उगा रखीं हैं ,पत्नी उन्ही को बेचकर घर चला रही है। कभी पालक बेच लेती है ,कभी मूली और कभी हरी मिर्च। दस बीस रूपये मिलते हैं , आटा चावल ले आती है। बेटी गांव के स्कूल में पढ़ रही है ,अभी चौदह बरस की हुई है। सारे बच्चे नीम के पेड़ के नीचे ही , एक ही मास्टर से पढ़ते हैं। कुछ बच्चे पढ़ते हैं , कुछ बकरी चराने चले जाते हैं ,कुछ खेलते रहते हैं। मास्टर क्या करे ? 

किसना की पत्नी देवी ,रोज शारदा देवी की शिला पर मत्था टेकती है , मैया ! कर्जा उतरवा देना। कह चुकी है मैया ! ग्यारह रूपये का गुड़ चढ़ा दुंगी। पति दिन -रात लगा रहता है ,ठाकुर भी कभी भी आकर बसूली की बात कर जाता है , सफ़ेद झक्क धोती पहनता है। चूं -चूं करने वाले जूते पहनता है। जब खेत पर आता है चार मुस्टंडे उसके साथ रहते हैं। किसे फोड़ना है , किसे उठाना है यही सब चलता रहता है। किसना का कलेजा मुंह को आता है किस बुरे बखत पर इस दुष्ट से कर्जा लिया जो आफत बन गया है। मुनीम भी नहीं दिखाई देता ,पता चला शहर गया है। 

किसना इतना भयभीत हो गया है कि देवी को बोल दिया है , बच्चों को लेकर नर्मदा मैया में कूद जाना पर इस ठाकुर से दूर रहना। अरे ! का समझे हो तुलसी के बाबा , हम सब देख लेंगे। अरे ! पगली कर्जा उतरेगा नहीं और चढ़ जायेगा। देखो , तुलसी के बाबा ! डराओ न हम तब देख लेंगे। सब शारदा मैया ठीक कर देंगी। 

फसल पकने को जा रही है , दो महीने और सही किसना सोच रहा था ,तभी मुनीम ने दरवाजा भड़भड़ा दिया , ओ ! किसनवा , जरा बाहर आओ ,का बात है मुनीम , काहे मर रहे हो ? भाग जा कहीं , अभी निकल पुलिस को पता चल गया है ,तुम अफीम की खेती किये हो।ठाकुर के खेत पर दरोगा सिपाही सब डटे हैं। जेल नहीं जाना चाहते तो भाग लो ,बच्चों को हम देख लेंगे।  देवी ! ला गमछा दे तो , दो चार दिन खेत पर न जाना ,रोटी बाँध दे , दस बीस रुपया हो तो दे। हम जा रहे हैं ,बच्चन का ध्यान रखना , रात को भागा  किसना  तो भागता ही रहा। 

आधा घंटे में ही पूरा खेत जला दिया , बिना आज्ञा के अफीम की खेती अपराध होता है , दंड और जेल दौनों हो सकते हैं। मुनीम ने बस इतना रहम किया कि किसना पिटने से बच गया। सुबह होते ही पुलिस किसना के घर आ धमकी।कौन है भीतर ? देवी बाहर आ गई , साब ! हमको नहीं पता ठाकुर का खेती कराये हैं। हम कर्जा लिए हैं बस यही पता है। जब तलब करेंगे तब थाने आना होगा किसना को बता देना ,जी साब !दरोगा ने देख लिया टूटे झोंपड़े में , सूखी देह के साथ इस औरत में कितना दम होगा। 

उनके जाते ही ठाकुर आ गया ,अब ,कहाँ छुप गया साला ! कर्जा लिया , अफीमकी खेती  किया ,हमको फंसाया।  आज कल दया धर्म का जमाना ही नहीं रहा। ठाकुर गरजता रहा ,देवी चुपचाप सुनती रही। ठाकुर अपने चमचों के साथ वापस चला गया। दिन भर की थकी हारी देवी शाम को चावल पका रही थी ,तभी ठाकुर के लोग तुलसी को उठा ले गए। देवी हांफती हुई ठाकुर के दरवाजे ठोकने लगी , साब ! मेरी बेटी छोड़ दो , गुहार लगाती हूँ ,हम कर्जा चुका देंगे , वहां तो कोई सुनने वाला था ही नहीं।  देवी रात भर दरवाजे पर सिर फोड़ती रही पर कुछ पता नहीं चला उसकी फ़रियाद न बंद दरवाजे ने सुनी न खुली खिड़की ने।   

सुबह मुनीम ने बताया फ़ार्म हॉउस पर ले गया है ठाकुर तुलसी को ,ठाकुर का  ऐसे ही उतरता है तू क्या नहीं जानती। जा शहर जा किसना को बता वही कुछ करे। बेबस तुलसी , हाथ जोड़कर विनती करती रही पर ऐय्यास ! ठाकुर पर कोई असर नहीं हुआ।टिटहरी की आवाज जैसी तुलसी की आवाज जंगल में बिखर गई , कोई नहीं आया ,रोज ठाकुर शराब पीता और तुलसी को बोलता तू ही कर्जा माफ़ करवा सकती है , बच्ची कुछ समझ पाती ,तब तक उसे अधमरा कर दिया।  बाप यदि कर्जा लेले तो कितना घातक होता है आज समझ पाई है। बाबा , चिंता न करो इस ठाकुर को तो मैं ही बताउंगी ,तुलसी सोचती रहती क्या करे ? एक रात सौदा कर बैठी या मैं या खेत। ठाकुर को और एक गिलास भरकर पीला दी , बोल जल्दी। ठाकुर के गार्ड भी धुत्त पड़े थे , ठाकुर कागज पर लिख गया खेत किसना के हुए ,कर्जा माफ़ किया। 

तुलसी दबे पाँव सड़क तक भाग निकली , गांव अभी दूर था ,रास्ते में एक बैलगाड़ी पर भूसा लदा था ,उसमें घुस गई और घर तक आ गई , मुनीम किसना को घर ले आया था। सामने बच्ची को देखा तो गस खाकर गिर पड़ा।  बेटी ! मोहे माफ़ करदे , मैं तेरा बाबा , किसी काम का न निकला , तुलसी माँ से लिपट गई ,कुछ न हुआ माँ , मैं ठीक हूँ। ये लो अपने खेत के कागज।  आज से कर्जा भी माफ़।  ठाकुर को बता दूंगी बेटी ! हूँ अपने माँ बाबा की। सुबह दरोगा को खबर की गई , पूरा गांव थाने पहुँच गया। 

रेनू शर्मा 








 








  








  



















































 

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