Friday, June 20, 2014

प्रायश्चित

गिरजा के खेत पकी हुई गेंहू की फसल से , सोने से चमक रहे हैं , जब सूरज की रौशनी खेत पर पड़ती है , तब लगता है कि सुनहरा कालीन बिछा हो। पास ही नहर निकल रही है , सिंचाई की कोई परेशानी नहीं है , जहाँ तक नज़र जाती है , हरा -भरा दिखाई देता है। गिरजा , शाम को गांव वालों की समस्या का समाधान करते हैं , ठाकुर हैं , गांव के रईस हैं लेकिन सबका भला चाहते हैं। गांव के लोग भी उनका मान करते हैं , रात के दो बजे भी कोई उन्हें आवाज लगा दे तब भी गिरजा उनके साथ हो लेते हैं।  घर में उनकी पत्नी मीरा और एक बेटा -बेटी हैं , बेटा नौकरी करता है और बेटी अभी पढ़ रही है। एक छोटा भाई शिवा है जो शहर में बड़ा अधिकारी है।  एक बहन है जो पास के गांव के जमीदार परिवार की बहु है। शिवा की बेटी सिया कॉलेज जाती है ,यह लेख -जोखा है गिरजा के परिवार का। गांव की खेती -वाड़ी का काम गिरजा ही देखते हैं , पहले वे गांव के इण्टर कॉलेज में गणित पढ़ाते थे ,अब , अध्यापन छोड़ दिया है।

गिरजा ने ट्रेक्टर ले लिया है , घर में सभी आधुनिक सुविधाएँ हैं ,मीरा को कोई तकलीफ नहीं है ,खेतों के पास शिवजी का भव्य मंदिर है ,वहां अक्सर साधु -संत आते रहते हैं ,मीरा ने उन्ही में से एक संत श्री अखंडानंद जी से दीक्षा ली है।  जब -जब संत बगिया में आते हैं मीरा ही उन्हें खाना पहुंचाती है , कपडे , दान , दक्षिणा से उनका सम्मान करती है , ठाकुर सा ने कभी कोई एतराज नहीं किया , संत पर उनका भी विश्वास है , धीरे -धीरे बच्चे भी उनके भक्त होते जा रहे हैं , अखंडानंद जी भक्तों के साथ खुले में बैठते हैं और गीता , भगवत पुराण आदि धर्म ग्रंथों की कथाओं का ज्ञान सभी को बांटते हैं। एकता , अखंडता ,भाई -चारे के साथ रहने की शिक्षा देते हैं , गांव वाले भी संत जी को चावल , गेंहू , दाल आदि देते रहते हैं , मीरा भी सेवा करती रहती है ,एक दो महीने में संत जी का डेरा उठ जाता है ,फिर दो चार साल बाद उनका आगमन होता है।

सब कुछ ठीक ही चल रहा था तभी ठाकुर का फोन बज उठा , ठाकुर जी के बेटे विशाल के ऑफिस से फोन था ,विशाल को हार्ट अटैक आया है , अस्पताल ले गए हैं ,इधर फसल काटने को खड़ी है , उधर गिरजा पर आफत आ गई है ,ठाकुर शहर चले गए , घर में उदासी छा गई है ,विशाल आई,सी सी यु में था , डाक्टर उसे देख रहे थे ,गिरजा , ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि उनका बेटा जल्दी ठीक होकर घर आये , गांव वाले ठाकुर से मिलने आने लगे , क्या करें समझ नहीं आ रहा था , चार दिन बीत गए ,मीरा ,सिया भी विशाल को देखकर आ चुकीं हैं , डाक्टर ने बता दिया है आधे दिल ने काम करना बंद कर दिया है , अभी हफ्ता भर यहीं रखेंगे , खतरा अभी टला नहीं है , ठाकुर के होश उड़ रहे हैं।

रात भर अस्पताल में पड़ा गिरजा यही सोचता है जाने किसकी नज़र लग गई है , होली पर शिवा परिवार सहित आया था तब ,सब लोग कितने खुश थे , सविता शिवा की पत्नी कह रही थी अब तो , विशाल की भी नौकरी लग गई आप तो निश्चिन्त हो गए हो , हो न हो, सविता की ही नज़र लगी है , गिरजा गया और विशाल की नज़र उतार कर आ गया ,कभी मंदिर जाता और देवी -देवताओं के नाम से पैसे उठा कर रख देता , गांव वालों को पैसे देता मंदिर में चढाने के लिए , कभी बोलता , ईश्वर मेरे बेटे को ठीक कर दो ग्यारह बामन को भोजन करवा दूंगा , जो कर सकता था वो सब कर रहा था , शिवा से उसका मन उखड रहा था , शिवा भागता हुआ अस्पताल पहुंचा लेकिन गिरजा के हाव -भाव से उसे लगा कि भइया घबरा गए हैं , शिवा ने समझाने का प्रयास किया लेकिन गिरजा को कुछ समझ नहीं आया।

सविता मीरा से मिलने गांव गई लेकिन , मीरा ने कोई अहमियत नहीं दी , अब , क्या करने आई हो , नज़र लगा दी न हमारे बेटे को , जिसे भी पता चला वही मीरा को समझने का प्रयास कर रहा है , जैसा तुम सोचती हो वैसा बिलकुल भी नहीं है , गिरजा भी भ्रामकता का शिकार हो गया है , एक दिन था ,अपने परिवार के खिलाफ कुछ भी नहीं सुन सकता था गिरजा ,अब,अपने भाई को गलत समझ रहा है ,उसने रमन को बाबा अखंडानंद के पास भेजा है , शिवा दो बार गांव भी हो आया है , अस्पताल भी जाता रहता है ,लेकिन मीरा लगातार टोटके -टोने का सहारा ले रही है , शिवा , कहता है भैया !! पहले बेटे को ठीक होने दो फिर मंदिर -मस्जिद भी देख लेंगे ,लेकिन गिरजा तो जैसे पागल हो गया है ,

हफ्ता भर निकल गया , डॉक्टर ने आकर बता दिया कि अब , कोई खतरा नहीं है , चार दिन बाद घर ले जा सकते हो ,लेकिन ध्यान रखना होगा , शिवा ने काउंटर पर जाकर अस्पताल का खर्च चुका दिया ,और शहर चला गया , गिरजा परेशान हो गया ,देखो तो अब ,बिल भरकर मेरा दिल जीतना चाहता है , मीरा को बोल दिया शिवा को घर में मत घुसने देना , धीरे -धीरे यह बात पूरे गांव में फ़ैल गई ,जब ,रमन को पता चला तो , दूसरे दिन ही अस्पताल भगा , ठाकुर सा !! क्या गजब कर रहे हो ? शिवा तो आपकी सहायता कर रहा है , गांव में खेतों में खड़ी फसल वही तो कटवाकर घर रखवा गया है , अस्पताल का खर्चा भी उसी ने किया है , ठाकुर सा !! भाई -भाई ही होता है , आप बेबजह शक न करो , अपना घर मत उजाड़ो , शिवा जैसा भाई तो सब किसी को मिले ,आप !! गलत सोच रहे हो , पछताना पड़ेगा आपको , मीरा भौजी , सोचती है सब आपने काम करवाया है लेकिन मजदूर लगाकर शिवा ने सब किया है , अपने को अकेला मत करो , ठाकुर सा !! समय निकल जाता है बात बनी रहती है , बाबा ने जो दुश्मन देखने की बात कही है वो तो ,खाने -पीने , रहन -सहन की बात करी है तुम !! उसका उल्टा मतलब लगा रहे हो ,बाबा , एक हफ्ते में गांव आ रहे हैं तो बात कर लेना , आगे तुम्हारी मर्जी।

गिरजा , अवाक् रह गया , आज रमन ने उसकी आँखें खोल दीं , वार्ना तो अनर्थ हो जाता , अब ,क्या करे ? उसके तो आंसू ही रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं , शिवा तो नाराज होकर गया , रमन तू , अस्पताल में रुक मैं शाम तक आता हूँ , गिरजा ,शिवा के ऑफिस में जा पहुंचा , चपरासी ने बताया साहब !! आपके भाई गिरजा जी आये हैं , आपसे मिलना चाहते हैं , अरे !! बाहर क्यों बिठाया है अंदर आने दो , शिवा झट से बाहर दौड़ गया , भइया !! मुझे बुला लिया होता , विशाल के पास कौन है ? गिरजा की ऑंखें भर आईं , शिवा मुझे माफ़ करदे , गलती हो गई ,तेरे पर भरोसा नहीं किया , अरे !! भैया , छोडो सब , विशाल को घर आने दो सब ठीक हो जाएगा ,हम सब लोग गांव में ही साथ रहेंगे , शिवा ने भाई को गले लगा लिया , आप वापस जाओ ,हम विशाल को घर ले चलेंगे ,हो सके तो सविता को भी समझा देना।

गांव भर में उत्सव का माहौल था , कहीं भोजन तैयार हो रहा था , कहीं हवन की सुगंध फ़ैल रही थी , भोले बाबा की जय -जयकार गूंज रही थी , बाबा अखंडानंद आसान पर विराजमान हैं , गांव वालों को बता रहे हैं अगर घी ,दही ,दूध जमकर खाना है तो कसरत तो , करनी होगी , पेड के नीचे चारपाई पर खर्राटे लेने से तोबा करनी होगी , गिरजा भोलेनाथ के सामने कान पकड़कर खड़ा है , बड़ी भूल हो गई बाबा क्षमा करें , हमारे परिवार पर कृपा करो , पीछे शिवा खड़ा भाई के प्रायश्चित पर आंसू बहा रहा है।

रेनू शर्मा 

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