सावन ने दस्तक दे दी है अभी पहला सोमवार निकला है , महादेव मंदिर में विशाल मेला लगा था , पहले तो आठ -दस पंचायत के लोगों की आस्था महादेव में थी लेकिन अब , देखो तो कोई पार ही नहीं है , बच्चों के भीतर भी आध्यात्म जाग गया है ,सुबह से नहाकर लुटिया हाथ में ली और मंदिर की तरफ दौड़ लगा दी एक हमारी बिन्नो है ,कितनी बार कहदो सुबह जल्दीउठना है , बिलकुल नहीं सुनेगी। माँ परेशान मत करो , इतनी में महादेव को क्या पता बिन्नो आई या नहीं , मैं ,देख लुंगी माँ अपने हिसाब से। इसका हिसाब जाने कब आएगा , अपने बाबा की तरह बिस्तर में पड़े -पड़े ॐ नमः शिवाय करने से क्या होगा ? जरा भगवान को अपना मुंह भी दिखाकर आना चाहिए। अरबों में जनता है माँ !! उन्हें क्या पता कौन जमींदार खजान सिंह ,कौन उनकी बेटी बिन्नो।
सुबह से झमाझम बारिश हो रही है , लल्ला कह रहा था माँ !! आज दाल मंगौड़े बना लो ,कुछ चटपटा खाने को मन है ,जब चौमासा लगता है तब ,जमींदार सा से बोला जाता है नई रसोई बनवा दो ,या आँगन में सेड लगवा दो ,चूल्हे पर पानी आता है पर कुछ सुनवाई नहीं है , सब लकड़ियाँ भींग जातीँ हैं और गैस चूल्हे का खाना उन्हें भाता नहीं है ,लल्ला !! देख तो , बाबा , क्या कह रहे हैं ? शायद कोई बैठक में आया है चाय बनानी है। जरा बिन्नो को उठा तो ,कबसे कह रही हूँ , बिन्नो को शहर मत भेजो , लड़का देखो और शादी कर दो लेकिन उसकी भी कोई सुनवाई नहीं है। जाने किस मिटटी से बने हैं , जब ,देखो चार छः मुस्टण्डे आकर बैठ जाते हैं , चाय बनाओ , नास्ता लाओ , हा हा , ही ही बस।
तभी खजानसिंह आँगन में आकर बोले -बिन्नो की माँ !!जरा नास्ता लगा देना लल्ला से भिजवा देना ,जी भेजती हूँ। चूल्हे पर पानी आ रहा है , भागो , [भगवती ]उसे सास इसी नाम से बुलाती है बार -बार चूल्हा जलने की कोशिश करती है ,चाय का पानी छुन -छुन कर ठंडा पड़ जाता है ,बिन्नो आँखें मलती हुई माँ के पास खड़ी हो जाती है ,माँ !! सुबह -सुबह कौन आया है ? बेशर्म सुबह नहीं है एक बज गया है ,अरे !! आज घडी जल्दी चल रही थी क्या ? हाँ ,ग़ाँव की घड़ियाँ जल्दी चलती हैं , बोलो क्या काम है , चाय बनानी है ,ओके , माँ !! मुझे बर्तन दो और गैस पर चाय बनाने लगी ,भागो ,ने कभी सीखना नहीं चाहा कि गैस पर चाय कैसे बनाते हैं। बिन्नो , ने मंगौड़े भी बना दिए ,बिन्नो के देर से उठने का तूफान शांत हो गया। लल्ला अभी बारहवीं कक्षा में पढता है ,माँ के छोटे -मोटे काम वाही करता है।
माँ !! तुम खामखाह परेशान होती हो ,लकड़ी का चूल्हा अब ,छोड़ दो ,सीखो गैस पर काम कैसे होता है ,मैं सीखा दूंगी ,हाँ , मुझे ही सब सीखा दे खुद भी कुछ सीखेगी या नहीं , कब सोकर उठना है ,बिन्नो और भागो की नौक -झोंक देर तक चलती रही ,तब तक , खजानसिंह की आवाज आ गई ,भई !! आज खाना मिलेगा या नहीं ? भागो ,रसोई की तरफ भाग पड़ी ,चल बिन्नो थाली लगा ,माँ !! आज मैं खाना बनाती हूँ ,आप ,बाबा को देकर आना ,देखते हैं उन्हें पता चलता है या नहीं ,भागो , ने थाली सजा दी , दाल , सब्जी ,अचार , दही और फुलकी। बाबा ने बड़े स्वाद से पूरा खाना खाया , भागो !! आज रोटी बड़ी नरम बनी है बिन्नो ने बनाई है ,सोई तो कहूँ , बेटी के हाथ के खाने की बात ही कुछ और है ,हाँ , बेटी के हाथ का बना खाना ही कहते रहना उसका ब्याह मत करना जी , अरे ! तुमसे तो बात करना ही बेकार है ,खाना खाते हुए भी जमींदार जी भिड़ गए ,माँ !! तुम बेबजह झगड़ा मत करो ,चलो खाना खा लो , दादी को खिला दो पहले , लल्ला को बोल दो खा लेगा ,माँ !! अभी मेरी एक साल और बची है पढाई करनी है तब , जाकर शादी की बात आएगी , अभी तो , जॉब भी करना है। बात बढ़ते देख बिन्नो चुप हो गई।
शाम को बिन्नो माँ के साथ खेत पर घूमने चली गई ,माँ !! थोड़ी मैथी ,पालक तुड़वालो , शाम को पराठे बना लेंगे ,हफ़्ता भर यूँ ही निकल गया और बिन्नो शहर चली गई ,लल्ला भी पढाई में लगा है , सब अपनी -अपनी धुन मैं मस्त हैं ,खजानसिंह , फसल का हिसाब करने में बिजी हैं ,जो अभी तैयार हुई है ,आलू कोल्ड स्टोर में रखवाना है , हर दिन ट्रक में रखा माल इधर से उधर आता जाता है ,भागो , अब , रसोई के काम में मस्त है ,कभी -कभी सास जी के पैर दावते हुए कह देती है माँ जी !! अपने बेटे से कहो -बिन्नो का रिश्ता तय करें ,मैं , चली गई तो , ब्याह भी न देख सकुंगी ,चों ऐसे क्यों कह रही है भागो !! का तकलीफ है तुझे ,ना ,अम्मा !! ऐसो कछु नाय ,बस कलेजा में पीर उठत है , रह -रह कर। ज्यादा चिंता मत कर , हो जावेगा ब्याह छोरी का ,मैं ,बात करुँगी खजान से ,बिन्नो की चिंता मत कर , जा , सो जा।
शाम को उमस बढ़ गई थी ,अम्मा बाहर निकल गई ,नीम के नीचे पलंग बिछा था , वहीँ जा बैठी ,हरिया ,बैलों को दाना -पानी दे रहा था ,अम्मा अपना डंडा पटकती जा रही थी और हरिया को बोलती जा रही थी , देख तो ,भुस में कीड़ा न हो ,थोड़ा दलिया डाल ले,स्वाद आ जायेगा ,भूसी भी ले ले जरा सी , हाँ , अम्मा जी , जब , आप न होवो तब ,कौन करे है सब काम , आज भी कर लुंगो ,क्यों डंडा फटकार रही हो ? कहो तो , गांव वारे लोग बुला दूँ ,सुनाते रहना कथा -कहानी। चुपकर अनपढ़ !! नैक पढ़ो -लिखो होतो तो , जाने क्या -क्या पट्टी पढ़ाता मुझे , चुपचाप सेवा कर जानवरों की ,अम्मा की बैचेनी समझ नहीं आ रही थी , हरिया !! जा देख तो , खजान आया या नहीं , न अम्मा !! वो तो खेत पर थे , हिसाब कर रहे थे।
भागो !! अम्मा , भीतर आ गई , देख तो बिन्नो को फोन कर ठीक तो है , लल्ला कहाँ है ? का बात है अम्मा !! सब ठीक है ,लल्ला पढ़ रहा है , बिन्नो से अभी बात हुई है ठीक है ,जी ख़राब है क्या ? नाय , ठीक है ,जा रे अ, हरिया !! खजान कूँ बुला ला , जी हुजूर ! भागो ,अम्मा जी को नीबू पानी देने लगी ,लो अम्मा जी ,पीलो जरा जी ठीक हो जावेगो ,तभी बाहर से आवाज आने लगी ,अम्मा जी !! ठाकुर जी को कतल हो गयो , गजब हो गयो , अब ,कुछ न बचो ,हमारे ठाकुर अब ना रहे , कछु मौको नाय दयो , अस्पताल ले जावे की जरुरत ही नाय बची , लल्ला , दौड़ गया ,भागो ,चूल्हा जलता छोड़कर खेत पर दौड़ गई , अरे !! परमेश्वर !! जे का भयो , अम्मा जी ने आँगन में ही पछाड़ खा ली , गांव भर के लोग घर में इकठ्ठा हो गए , लोग भागो को पकड़कर ला रहे थे ,लल्ला बेहोश पड़ा था , पुलिस चौकी के सिपाही ठाकुर के खेत पर जमे थे , किसने इतनी हिम्मत करी जो खजानसिंह पर गोली चला दी।
दो घंटे में पता चल गया कि कौन हिसाब कर रहा था , हरिया ने दरोगा जी को सब बता दिया ,साब !! दो ट्रक आलू का हिसाब हो रहा था , इरफ़ान ने घपला कर दियो , पैसा मांगे तो गोली चला दी , हफ्ते भर तक पुलिस की आवा -जाही लगी रही लेकिन कहीं भी इरफ़ान को पतों न चलो , गांव भर में शोक हो गया , बहन -बेटी रिश्तेदार आने लगे , भागो तो पागल सी हो गई , न नहाने का होश , न खाने का , बिन्नो ने माँ को संभाल लिया , लल्ला भी थोड़ा ठीक हो गया , अब , सब कुछ इन्हें लोगों को ही तो देखना था , सब हैरान थे अचानक क्या हो गया।
महीने भर तक घर में चहल -पहल होती रही ,पर खजानसिंह की भरपाई कोई न कर सका , पानी रात से ही बरस रहा है , बिन्नो वापस जाना चाहती है लेकिन माँ का चेहरा देखकर रुक जाती है ,अम्मा अब , बिस्तर पर आ गई है , लल्ला का परीक्षा समय चल रहा है , क्या करे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है , भागो ने समझा बुझा कर बिन्नो को कॉलेज भेज दिया , अम्मा की सेवा करना ही अब , बिन्नो का काम रह गया है , हर शनिवार बिन्नो घर आ जाती है और भागो को खेत पर साथ ले जाती है , उसे सारे हिसाब -किताब बता रही है ,सात -आठ महीने में भागो खेत का काम जान गई है , गैस पर खाना भी बना लेती है , डंडा साथ रखती है ,कभी लल्ला साथ होता है कभी बिन्नो , अम्मा , अब बाहर बैठी हरिया से गांव की खोज -खबर लेती रहती है।
साल भर बीत गया ,भागो ने एक बार भी नहीं कहा कि बिन्नो का ब्याह करना है , अब , भागो समझने लगी है कि बेटी की पढाई जरुरी है , जॉब करने लगे तब , ब्याह हो जायेगा ,लल्ला ,अभी तो पढ़ रहा है , आगे चलकर बाबा का काम ही संभालेगा , बिन्नो , अब माँ को ठकुराइन बना रही है ,माँ !! आत्म विश्वास के साथ बोला करो , माँ , बेटी का हाथ पकड़कर एक नई राह पर निकल पड़ी है।
रेनू शर्मा
सुबह से झमाझम बारिश हो रही है , लल्ला कह रहा था माँ !! आज दाल मंगौड़े बना लो ,कुछ चटपटा खाने को मन है ,जब चौमासा लगता है तब ,जमींदार सा से बोला जाता है नई रसोई बनवा दो ,या आँगन में सेड लगवा दो ,चूल्हे पर पानी आता है पर कुछ सुनवाई नहीं है , सब लकड़ियाँ भींग जातीँ हैं और गैस चूल्हे का खाना उन्हें भाता नहीं है ,लल्ला !! देख तो , बाबा , क्या कह रहे हैं ? शायद कोई बैठक में आया है चाय बनानी है। जरा बिन्नो को उठा तो ,कबसे कह रही हूँ , बिन्नो को शहर मत भेजो , लड़का देखो और शादी कर दो लेकिन उसकी भी कोई सुनवाई नहीं है। जाने किस मिटटी से बने हैं , जब ,देखो चार छः मुस्टण्डे आकर बैठ जाते हैं , चाय बनाओ , नास्ता लाओ , हा हा , ही ही बस।
तभी खजानसिंह आँगन में आकर बोले -बिन्नो की माँ !!जरा नास्ता लगा देना लल्ला से भिजवा देना ,जी भेजती हूँ। चूल्हे पर पानी आ रहा है , भागो , [भगवती ]उसे सास इसी नाम से बुलाती है बार -बार चूल्हा जलने की कोशिश करती है ,चाय का पानी छुन -छुन कर ठंडा पड़ जाता है ,बिन्नो आँखें मलती हुई माँ के पास खड़ी हो जाती है ,माँ !! सुबह -सुबह कौन आया है ? बेशर्म सुबह नहीं है एक बज गया है ,अरे !! आज घडी जल्दी चल रही थी क्या ? हाँ ,ग़ाँव की घड़ियाँ जल्दी चलती हैं , बोलो क्या काम है , चाय बनानी है ,ओके , माँ !! मुझे बर्तन दो और गैस पर चाय बनाने लगी ,भागो ,ने कभी सीखना नहीं चाहा कि गैस पर चाय कैसे बनाते हैं। बिन्नो , ने मंगौड़े भी बना दिए ,बिन्नो के देर से उठने का तूफान शांत हो गया। लल्ला अभी बारहवीं कक्षा में पढता है ,माँ के छोटे -मोटे काम वाही करता है।
माँ !! तुम खामखाह परेशान होती हो ,लकड़ी का चूल्हा अब ,छोड़ दो ,सीखो गैस पर काम कैसे होता है ,मैं सीखा दूंगी ,हाँ , मुझे ही सब सीखा दे खुद भी कुछ सीखेगी या नहीं , कब सोकर उठना है ,बिन्नो और भागो की नौक -झोंक देर तक चलती रही ,तब तक , खजानसिंह की आवाज आ गई ,भई !! आज खाना मिलेगा या नहीं ? भागो ,रसोई की तरफ भाग पड़ी ,चल बिन्नो थाली लगा ,माँ !! आज मैं खाना बनाती हूँ ,आप ,बाबा को देकर आना ,देखते हैं उन्हें पता चलता है या नहीं ,भागो , ने थाली सजा दी , दाल , सब्जी ,अचार , दही और फुलकी। बाबा ने बड़े स्वाद से पूरा खाना खाया , भागो !! आज रोटी बड़ी नरम बनी है बिन्नो ने बनाई है ,सोई तो कहूँ , बेटी के हाथ के खाने की बात ही कुछ और है ,हाँ , बेटी के हाथ का बना खाना ही कहते रहना उसका ब्याह मत करना जी , अरे ! तुमसे तो बात करना ही बेकार है ,खाना खाते हुए भी जमींदार जी भिड़ गए ,माँ !! तुम बेबजह झगड़ा मत करो ,चलो खाना खा लो , दादी को खिला दो पहले , लल्ला को बोल दो खा लेगा ,माँ !! अभी मेरी एक साल और बची है पढाई करनी है तब , जाकर शादी की बात आएगी , अभी तो , जॉब भी करना है। बात बढ़ते देख बिन्नो चुप हो गई।
शाम को बिन्नो माँ के साथ खेत पर घूमने चली गई ,माँ !! थोड़ी मैथी ,पालक तुड़वालो , शाम को पराठे बना लेंगे ,हफ़्ता भर यूँ ही निकल गया और बिन्नो शहर चली गई ,लल्ला भी पढाई में लगा है , सब अपनी -अपनी धुन मैं मस्त हैं ,खजानसिंह , फसल का हिसाब करने में बिजी हैं ,जो अभी तैयार हुई है ,आलू कोल्ड स्टोर में रखवाना है , हर दिन ट्रक में रखा माल इधर से उधर आता जाता है ,भागो , अब , रसोई के काम में मस्त है ,कभी -कभी सास जी के पैर दावते हुए कह देती है माँ जी !! अपने बेटे से कहो -बिन्नो का रिश्ता तय करें ,मैं , चली गई तो , ब्याह भी न देख सकुंगी ,चों ऐसे क्यों कह रही है भागो !! का तकलीफ है तुझे ,ना ,अम्मा !! ऐसो कछु नाय ,बस कलेजा में पीर उठत है , रह -रह कर। ज्यादा चिंता मत कर , हो जावेगा ब्याह छोरी का ,मैं ,बात करुँगी खजान से ,बिन्नो की चिंता मत कर , जा , सो जा।
शाम को उमस बढ़ गई थी ,अम्मा बाहर निकल गई ,नीम के नीचे पलंग बिछा था , वहीँ जा बैठी ,हरिया ,बैलों को दाना -पानी दे रहा था ,अम्मा अपना डंडा पटकती जा रही थी और हरिया को बोलती जा रही थी , देख तो ,भुस में कीड़ा न हो ,थोड़ा दलिया डाल ले,स्वाद आ जायेगा ,भूसी भी ले ले जरा सी , हाँ , अम्मा जी , जब , आप न होवो तब ,कौन करे है सब काम , आज भी कर लुंगो ,क्यों डंडा फटकार रही हो ? कहो तो , गांव वारे लोग बुला दूँ ,सुनाते रहना कथा -कहानी। चुपकर अनपढ़ !! नैक पढ़ो -लिखो होतो तो , जाने क्या -क्या पट्टी पढ़ाता मुझे , चुपचाप सेवा कर जानवरों की ,अम्मा की बैचेनी समझ नहीं आ रही थी , हरिया !! जा देख तो , खजान आया या नहीं , न अम्मा !! वो तो खेत पर थे , हिसाब कर रहे थे।
भागो !! अम्मा , भीतर आ गई , देख तो बिन्नो को फोन कर ठीक तो है , लल्ला कहाँ है ? का बात है अम्मा !! सब ठीक है ,लल्ला पढ़ रहा है , बिन्नो से अभी बात हुई है ठीक है ,जी ख़राब है क्या ? नाय , ठीक है ,जा रे अ, हरिया !! खजान कूँ बुला ला , जी हुजूर ! भागो ,अम्मा जी को नीबू पानी देने लगी ,लो अम्मा जी ,पीलो जरा जी ठीक हो जावेगो ,तभी बाहर से आवाज आने लगी ,अम्मा जी !! ठाकुर जी को कतल हो गयो , गजब हो गयो , अब ,कुछ न बचो ,हमारे ठाकुर अब ना रहे , कछु मौको नाय दयो , अस्पताल ले जावे की जरुरत ही नाय बची , लल्ला , दौड़ गया ,भागो ,चूल्हा जलता छोड़कर खेत पर दौड़ गई , अरे !! परमेश्वर !! जे का भयो , अम्मा जी ने आँगन में ही पछाड़ खा ली , गांव भर के लोग घर में इकठ्ठा हो गए , लोग भागो को पकड़कर ला रहे थे ,लल्ला बेहोश पड़ा था , पुलिस चौकी के सिपाही ठाकुर के खेत पर जमे थे , किसने इतनी हिम्मत करी जो खजानसिंह पर गोली चला दी।
दो घंटे में पता चल गया कि कौन हिसाब कर रहा था , हरिया ने दरोगा जी को सब बता दिया ,साब !! दो ट्रक आलू का हिसाब हो रहा था , इरफ़ान ने घपला कर दियो , पैसा मांगे तो गोली चला दी , हफ्ते भर तक पुलिस की आवा -जाही लगी रही लेकिन कहीं भी इरफ़ान को पतों न चलो , गांव भर में शोक हो गया , बहन -बेटी रिश्तेदार आने लगे , भागो तो पागल सी हो गई , न नहाने का होश , न खाने का , बिन्नो ने माँ को संभाल लिया , लल्ला भी थोड़ा ठीक हो गया , अब , सब कुछ इन्हें लोगों को ही तो देखना था , सब हैरान थे अचानक क्या हो गया।
महीने भर तक घर में चहल -पहल होती रही ,पर खजानसिंह की भरपाई कोई न कर सका , पानी रात से ही बरस रहा है , बिन्नो वापस जाना चाहती है लेकिन माँ का चेहरा देखकर रुक जाती है ,अम्मा अब , बिस्तर पर आ गई है , लल्ला का परीक्षा समय चल रहा है , क्या करे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है , भागो ने समझा बुझा कर बिन्नो को कॉलेज भेज दिया , अम्मा की सेवा करना ही अब , बिन्नो का काम रह गया है , हर शनिवार बिन्नो घर आ जाती है और भागो को खेत पर साथ ले जाती है , उसे सारे हिसाब -किताब बता रही है ,सात -आठ महीने में भागो खेत का काम जान गई है , गैस पर खाना भी बना लेती है , डंडा साथ रखती है ,कभी लल्ला साथ होता है कभी बिन्नो , अम्मा , अब बाहर बैठी हरिया से गांव की खोज -खबर लेती रहती है।
साल भर बीत गया ,भागो ने एक बार भी नहीं कहा कि बिन्नो का ब्याह करना है , अब , भागो समझने लगी है कि बेटी की पढाई जरुरी है , जॉब करने लगे तब , ब्याह हो जायेगा ,लल्ला ,अभी तो पढ़ रहा है , आगे चलकर बाबा का काम ही संभालेगा , बिन्नो , अब माँ को ठकुराइन बना रही है ,माँ !! आत्म विश्वास के साथ बोला करो , माँ , बेटी का हाथ पकड़कर एक नई राह पर निकल पड़ी है।
रेनू शर्मा
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