Tuesday, May 26, 2009

रंगीन सियार


किसी जंगल में एक सियार रहता था , एक दिन उसे कुछ भी खाने को नही मिला तो, रात को एक गावं में आ गया । गाँव के कुत्तों से बचता हुआ वह कपडे रंगने वाले के घर में घुस गया । वहां एक नांद में नीला रंग घुला हुआ रखा था , सियार ने सोचा कि इसमें कुछ खाने का माल होगा , लेकिन पैर फिसलने से सियार उस नांद में गिर गया । बड़ी मुश्किल से नांद से बाहर आ पाया , सुबह उसने अपने को मृत जैसा दिखाया , रंगरेज ने उसे बाहर फैंक दिया । सियार उठकर भाग गया ।

धुप में उसका रंग नीला हो गया , एक तालाब के पानी में उसने अपना मुंह देखा , तो उसके दिमाग में चालाकी घूम गई । उसने जंगल के जानवरों से कहना शुरू किया कि, में ही जंगल का राजा हूँ । मुझे देवताओं ने जंगल पर राज करने के लिए ही भेजा है ।

सारे जानवर मान गए , लेकिन उसके साथ रहने वाले सियार समझ गए कि यह वही सियार है । उन्होंने नीले सियार से कहा कि तुम यह सब मत करो , पछताना पड़ेगा । लेकिन सियार नही माना। एक दिन नए राजा ने हुक्म दिया कि मेरे दरवार में कोई सियार न आने पावे । उसके हुक्म पर बड़े -बड़े जानवर उसके लिए शिकार मारकर लाने लगे । उसके लिए एक गुफा भी साफ़ कर दी गई , उसके पुराने दोस्तों ने सोचा कि यह सबको पागल बना रहा है , इसे सबक सिखाना ही पड़ेगा ।

एक बार जंगल में दरवार लगा था , तभी कुछ दूर से हुआं- हुआं की आवाजें आने लगीं । रंगे सियार राजा को भी हुआं -हुआं करने की इच्छा होने लगी । वह भी जोर से आवाजें निकालने लगा । पहले तो जानवर लोग सोचने लगे यह क्या हुआ ? सब लोग समझ गए कि यह सियार है । शेर ने एक झटके में ही उसे मार डाला ।

धोखेवाज को अक्सर उसके साथी ही मार डालते हैं ।


रेनू ......

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