किसान के खेत पर कई गधे आकार रात में उत्पात मचाते थे । किसान जब बहुत परेशान हो गया तब , सोचने लगा क्या उपाय करूँ ? तभी एक दिन एक सन्यासी उसके खेत से गुजरे । किसान ने उन्हें रोका और जलपान कराया , विश्राम की व्यवस्था कर दी गई । समय देख कर किसान ने अपनी समस्या सन्यासी के सामने रख दी । सन्यासी बोले - आज रात उनका इलाज कर लेंगे ।
आधी रात जब बीत गई , तब गधों का झुंड फ़िर आ गया , किसान डंडा लेकर भगा , ताबड़तोड़ धुनाई मचा दी । फ़िर भी दो गधे उनकी गिरफ्त में आ गए बाकी भाग गए । सन्यासी ने कहा - इन्हें रस्सी से बाँध दो । किसान के पास एक ही रस्सी थी , पहला गधा बाँध दिया गया । दूसरे के लिए सन्यासी ने कहा इसे प्रतीकात्मक रस्सी से बाँध दो । किसान ने बंधने का अभिनय किया और गधा बैठ गया ।
सुबह जब दाने -पानी का समय हुआ तब , सन्यासी ने कहा - अब इन्हें खोल दो । जाने दो । इनके लिए इतनी प्रताड़ना ही अधिक है । किसान ने रस्सी खोल दी और गधा खुलते ही भाग गया । दूसरा गधा वहीं बैठा रहा , किसान बोला -महात्मा जी !! यह क्यों नही भगा ? तुमने इस गधे को भी तो बांधा था , विश्वास के बंधन से बांधा है , इसे भी खोल दो , किसान ने फ़िर वही अभिनय किया और गधा धीरे -धीरे गंतव्य की ओर चल दिया ।
किसान हतप्रभ था , सन्यासी ने कहा - हम सब गलतियाँ करते हैं , लेकिन विश्वास , ईमानदारी , वफादारी सबसे बड़े गुन हैं । इन्ही गुणों के कारण हम ग़लत होकर भी आदर पाते हैं , सम्मान पाते हैं । यह गधा , अपने गुणों के कारण सम्माननीय हो गया है । अपराध से मुक्त हो गया है ।
रेनू शर्मा ...
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