एक घने जंगल में रानी नाम की एक शैतान चिडिया नीम के पेड पर अपना घर बना कर रहती थी । उसके पास ही और भी पंछी रहते थे , सब उसकी हरकतों से परेशान हो जाते थे । एक बार मोती नाम के हाथी की पीठ पर उसने खरोंच मार दी , हाथी को दर्द होने लगा , मोती ने सोचा कि इस रानी को तो सबक सिखाना ही पड़ेगा तभी चिरकुट नाम के बन्दर ने मोती की पीठ पर उछल कूद शुरू करदी जिसके कारण मोती को बहुत कष्ट हुआ ।
शाम को मोती के आदेश पर एक सभा का आयोजन किया गया , वहां सभी पशु पंछियों को आना पड़ा , दादू नाम के शेर ने मंच पर अपना आसन जमा लिया , बड़े ध्यान से सबकी शिकायत सुनी गईं , मोती को समझाया गया कि हम सब मिलकर उस शैतान चिडिया और चिरकुट को दंड देंगे ।
सभी ने मिलकर सोचा कि उन दोनो से कोई बात नही करेगा और बुरे वक्त में भी साथ नही देंगे । लेकिन एक दिन नीम के पेड पर बहुत साडी चिडिया मिलकर शोर कर रहीं थीं , चिरकुट को वह अच्छा नही लगा , उसने सोचा क्यों न इन चिडियों का घर ही उजाड़ दूँ , बहुत शोर करतीं हैं और सारे घोंसले चिरकुट ने तहस -नहस कर दिए , शाम को जब रानी ने अपने घर का बुरा हाल देखा तो , भागती हुई दादू के पास गई , लेकिन किसी ने भी उसकी पुकार नही सुनी , रो रोकर उसका हाल बुरा हो गया तब उसे समझ आया कि मुझे चिरकुट के साथ मिलकर कोई गलती नही करनी चाहिए थी ।
रानी सबके पास गई और अपने बुरे कर्म के लिए माफ़ी मांगने लगी , मोती के पास जाकर सॉरी बोला और कहा कि अब कभी किसी को भी परेशान नही करुँगी , कृपया मेरे बच्चों की खातिर मेरा घर बनवा दीजिये , और चिरकुट को भी हम सब मिलकर ठीक कर देंगे । तब से सब लोग मिलकर रहने लगे ।
हमें कभी भी किसी साथी को तंग नही करना चाहिए ।
रेनू .....
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