Saturday, March 7, 2009

मंगलू की सीख


सहारा रेगिस्तान के पास एक गाँव में नन्हा मंगलू अपनी माँ के साथ रहता था । एक दिन मालिक की बेटी की शादी हुई तब , मालिक ने करीब सौ ऊँट बेटी की विदाई के समय भेंट कर दिए , मंगलू अपनी माँ से अलग हो गया , माँ ऊंटों के झुंड के साथ दूर चली गई । एक दिन मालिक ने मंगलू को आंसू बहते हुए देखा , कभी वह झाडियों में घुस जाता , कभी जंगल में भटक जाता , मालिक ने उसे एक बुजुर्ग ऊँट के साथ बाँध दिया , तब से वह और अधिक रोने लगा ।

एक दिन बूढे ऊँट ने मंगलू की पूरी दास्तान सुनी और उसे रस्सी खोलकर आजाद कर दिया । कहा जाओ तुम अपनी माँ को खोज लो । नन्हा ऊँट इधर -उधर भटकता रहा और एक दिन माँ के पास जा पहुँचा । उसकी माँ अन्तिम घडियां गिन रही थी , बच्चे को देखते ही वह ठीक होने लगी और मंगलू को पास बुलाकर जिन्दगी कुछ फलसफे समझाने लगी ।

उसने बताया कि तुम्हारा भाई उत्तर की दिशा में गया है , मेरे मरने के बाद तुम उसके पास चले जाना । उसकी गर्दन पर लंबे बाल हैं , तुम उसे पहचान लोगे , किसी रेत के टीले पर मत सोना , लोगों के पड़ाव के पास भी मत जाना , हमेशा ढलानों के दक्षिण में ही सोना । भाई के साथ जैसा भाई कहे वैसा ही करना । हमेशा काफिले के बीच में ही रहना , इतना कहते ही माँ की आँखें बंद हो गईं ।

दूसरे दिन मंगलू भाई की तलाश में गया । उसने माँ के कही हर बात का उल्टा ही किया , जबकि माँ की कही एक -एक बात उसे याद थी । उसने टीले के ऊपर सोना चाहा लेकिन जब रेत आंखों में घुसने लगा तब वह जगह छोड़ी । पढाव के पास गया और सो नही पाया क्योंकि कीडे मकोडों ने सोने ही नही दिया , फ़िर उसने माँ की कही हर बात पर ध्यान दिया । चार दिन बाद वह अपने भाई से मिल गया ।

अब मंगलू खुश था उसने काफिले से बाहर ही चलना शुरू किया , पर जब ऊंटों ने उसे टाँगें मारना शुरू की तब उसे समझ आया कि झुंड के बीच में ही चलना चाहिए , माँ की हर बात अब उसके जहन में बैठ चुकी थी । भाई के साथ खुशी से रहने लगा ।

हमें अपने बड़ों की बातें ध्यान से सुनकर उनपर अमल करना चाहिए । कभी लापरवाही नही करनी चाहिए ।

रेनू ....

2 comments:

योगेश समदर्शी said...

क्या बात है.. आपने तो आंख खोल दी.... बहुत अच्छी रचना है...

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

बहुत खूब---
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
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