एक बार की बात है , जंगल में घनघोर बारिश हो रही थी । सारे जानवर अपने घरों में आकर छुप गए । तभी सोना नाम की चिडिया ने सबके पास आकर कहा - अगर इसी तरह बारिश होती रही तब हम लोग बहार कैसे निकल सकेंगे । भूख से सबका बुरा हाल था , फिरनी खरगोश को उसके बच्चे परेशान कर रहे थे , माँ हमें भूख लगी है , फिरनी उन्हें तसल्ली दे रही थी ,बेटा ! बारिश रुकने दो फ़िर कुछ करती हूँ ।
सभी दुखी थे पर गूंजा मोर को कोई परवाह ही नही थी । बारिश दूसरे दिन भी नही थमी गूंजा फ़िर भी नाच रहा था । उसे बच्चों की भी चिंता नही थी । जंगल में बाढ़ की स्तिथि पैदा हो गई , सब लोग ऊँची जगह पर चले गए , गूंजा को तब भी कोई चिंता नही हुई । नदी का पानी गूंजा के घर तक आ गया , दो छोटे बच्चे परेशान थे , बचाओ !! बचाओ !! चिल्ला रहे थे । उनके पास भोलू भालू आ गया और अपने साथ सुरक्षित स्थान पर ले गया ।
भालू मोर के बच्चों को शेरू की गुफा में ले गया , जंगल की दशा सुधरने में सारे जानवर लगे हुए थे । लेकिन गूंजा अभी भी नाचने में मस्त था । लम्बू जिराफ ने उसे फटकार लगाई कि सब लोग बाढ़ से दुखी हैं और तुम यहाँ नाच रहे हो ? देखो , लम्बू कितना सुहाना मौसम है , मुझे इसका आनंद लेना दो , तभी फिरनी खरगोश वहां भागती हुई आई , अरे !! गूंजा तुम्हारे घर में पानी भर गया है , क्या !!! वहां तो मेरे बच्चे थे , मोर घबरा गया जल्दी से घर की तरफ़ भागा । वहां बच्चे नही थे , शेरू ने गूंजा को डांटते हुए कहा - जब नाच रहे थे तब बच्चों की चिंता नही थी । उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया ।
भोलू ने तुम्हारे बच्चों को सुरक्षित निकाला । महाराज गलती हो गई , अब आगे से ऐसा नही होगा । मेरे बच्चों को बचाने के लिए शुक्रिया । गूंजा अपने बच्चों को लेकर गया और नया घर बनाने में जुट गया ।
मुसीबत में दूसरों का साथ देना चाहिए । मुसीबत आने पर एकजुट होकर सामना करना चाहिए ।
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