नंदन वन में साही नाम की एक लोमडी रहती थी , वह मौका मिलते ही सभी जानवरों को बेवकूफ बनाया करती थी । सब लोग उसे चालाक लोमडी या साही कहकर बुलाते थे । एक दिन गाना गाते हुए साही कहीं जा रही थी , तभी शिकारी के खोदे हुए गड्डे में गिर गई । जोर से रोने लगी , तभी रिबू नाम के एक काठफौड्वे ने साही से पूछा - अरे ! मौसी यहाँ क्या कर रही हो ? कुछ नही , गरमियां आ रहीं थीं इसलिए कूआ खोद रही थी ।
बड़ी अच्छी बात है , क्या एक और कूआ खोद दोगी , हाँ , क्यों नहीं , बस मेरे लिए कुछ लकडियाँ ले आओ । साही की बातों में आकर रिबू लकडियाँ गिराने लगा । उन लकडियों पर चढ़कर साही गड्डे से बाहर आ गई । देखो मौसी ! मेने तुम्हारी मदद की अब तुम , मेरे लिए कूआ खोद दो , हाँ , ठीक है । पहले कुछ खाना खिला दो , फ़िर तुम्हारा काम हो जाएगा ।
तभी रिबू ने देखा एक किसान बैलगाडी में गन्ने का रस भरकर ले जा रहा था । रिबू ने एक घडे में छेड़ कर दिया , सारा रस नीचे गिर गया और साही ने पेट भरकर रस पी लिया । अब तुम , कुछ नाच गाना दिखा दो , मेरा मन कर रहा है । रिबू समझ गया कि साही उसे पागल बना रही है , अब तो , इसे सबक सिखाना ही पड़ेगा । बस इतनी बात है , चलो साही मेरे साथ चलो ।
दोनो गाँव तक आ गए , रिबू ने देखा एक किसान अपने घोडे को पानी पिलाने ले जा रहा है , पर वह घर का दरवाजा बंद करना भूल गया है । यही मौका है साही को मजा चखाने का । साही तुम यहाँ बैठ जाओ मैं , अभी आता हूँ । रिबू घर के अन्दर लगे पेड पर बैठकर ठग -ठग बोलने लगा , घर में सोहा नाम का कुत्ता बैठा था वह बाहर आ गया , लोमडी को देखकर भोंकने लगा । अचानक कुत्ता उस पर झपट पड़ा । उस हमले से घबरा कर साही जान बचाकर भाग गई । रिबू उसके पीछे उड़ता हुआ गया , बोला - क्यों साही जी , दूसरों को बेवकूफ बनाने का नतीजा देख लिया न !
दूसरों को बेवकूफ बनाने वाला स्वयं ही बेवकूफ बन जाता है ।
रेनू .....
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