Saturday, January 24, 2009

भलाई का प्रतिफल


एक था कालू गधा , अपने मालिक गबरू के साथ मिलकर दिन भर कपडे ढोता था । मालिक रात में उसे आजाद कर देता था कियोंकि उसे लगता था कि दिन भर मेरे साथ रहकर ऊब जाता होगा , आजाद रहेगा तो दिन भर अच्छा काम करेगा । कालू पूरी रात इधर -उधर घूम कर मस्ती करता था , सबेरा होते ही गबरू के पास वापस आ जाता था । इसी कारण धोबी उस पर पूरा विश्वास करता था ।


एक बार उसकी दोस्ती जारा नामकी सियार से हो गई , कालू किसी भी खेत की बाड़ तोड़ने में माहिर था । जारा उसके इस हुनर पर फ़िदा हो गई , कालू के साथ मिलकर रात भर दीनू के खेत से खरबूजा खाया करते थे , सुबह होते ही दोनो अपने -अपने रास्ते चले जाते ।


एक रात कालू ने जारा से कहा देखो रात कितनी सुहानी है , खरबूजों की सुगंध फ़ैल रही है क्यों न मैं तुम्हें गाना सुनाऊं? बताओ तुम्हें क्या सुनना है , किस फ़िल्म का गाना सुनोगे , बोलो - जारा ने कहा दोस्त क्यों अपने साथ मेरे लिए भी आफत मोल ले रहे हो , हम यहाँ महफ़िल ज़माने नही , चोरी से खाना खाने आते हैं । चोर तो सबसे छिप कर रहते हैं , ऊपर से आपका बेसुरा गाना सुनकर खेत का मालिक दीनू आ गया तो हम कहीं के नही रहेंगे । इसलिए शांत भाव से खरबूजा खाओ और निकल लो । कालू बोला - तुम जंगल में रहते हो इसलिए सुर का ज्ञान नही है , तुम सरगम के बारे में क्या जानो ? शायद तुम ठीक बोलते हो , फ़िर भी गाना तो तुम्हें भी नही आता , तुम तो रैकते हो , अरे !!! तुम पागल हो क्या ? तुमने मेरा गाना नही सुना इसलिए ऐसी बात करते हो , जारा ने मान लिया कि अब कालू नही मानेगा और इसका गाना शुरू होते ही दीनू आ जाएगा और हमारा काम तमाम हो जाएगा ।


जारा ने कहा -देखो कालू भाई मुझे तो जान प्यारी है , इसलिए खेत के बाहर जा रहा हूँ , तुम पूरी आवाज खोलकर गाओ । जारा बहार आकर बैठ गई , कालू ने बहुत ही बेसुरी आवाज में चीखना शुरू कर दिया । दीनू दौड़ता हुआ आया और खेत में कालू को देखकर मारना शुरू कर दिया , मार -मार कर बेहोश कर दिया , कालू के गले में एक मोटा लकड़ी का टुकडा बाँध दिया और दीनू वहीं सो गया ।


दीनू के सोते ही कालू उठकर बैठ गया , कालू को मार का कोई अफ़सोस नही था , उखल के साथ ही कालू बाहर जाने लगा तब जारा ने कहा - दोस्त !! मेरे इतना मना करने पर भी तुम नही माने , अब देखो न कितना सुंदर हार गले में आ पड़ा है । तभी किसी ने कहा है कि जो मूर्ख लोग होते हैं वे दोस्त का उचित कहा भी नही मानते । दोस्त उनकी भलाई करना चाहता है लेकिन बात न मानाने पर बुरा फल मिलाता है जैसे कालू गधे को मिला ।


रेनू ......

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