Sunday, November 23, 2008

नौकरी

सुबह सात बजे से चंपा घर का सारा काम सँभालने लग जाती है , चाय लेकर जगाती है मैडम !! उठो सबेरा हो गया ,तब जाकर आँख खुल पाती है , बच्चों का टिफिन बना दिया , जी ,साहब ने नाश्ता किया जी , दोपहर मैं आने का बोल रहे थे , अरे !! एक तो बज रहा है !! जल्दी से बाथरूम मैं घुस जाती है । चंपा नही होती तब क्या होता ? क्या इतनी देर तक सो पाती ? देर रात तक खाना - पीना चलता रहता है , कभी कोई साहब खाने पर आ गए , कभी कोई । क्या करुँ नींद भी तो पूरी नही हो पाती । सुदर्शन बहुत ध्यान रखते हैं । छोटे कपड़े धोकर बाल्टी बाहर सरका दी ,चंपा ले जा , सुखा दे । हर दिन इस तरह ही निकलता जाता है । दो बजे सुदर्शन आतें हैं अभी खाना नही हो पता , बच्चे भी आ जाते हैं , उनका पूरा काम चंपा ही करती है । जब काम जादा लगता है तब , सरजू भी साथ आता है , सरकारी दफ्तर मैं चपरासी है , लेकिन साहब का खाना बनाने आ जाता है ।
काफी समय से सरजू सुबह से आकर काम करता है और चला जाता है , चंपा नही आती ,कभी शाम को आती है , बता रही थी बच्चे अकेले थे , तो साथ ले आती । दुसरे दिन से बच्चे भी आने लगे , सुबह के नास्ते से लेकर रात के खाने तक सब यहीं चल रहा है , कपड़े भी सब बाँट लेतें हैं , चंपा अब कभी - कभी ही आती है , कह रही थी नई नौकरी करने लगी है , घर का खर्च नही चल पाता , ठीक है ,
कुछ समय बाद ... सरजू बिस्तर पर मेरी पायल राखी थी तुमने देखी , हाँ , सामने अलमारी मैं राखी हैं , लापरवाही का खामियाजा अब मिलने लगा है , कुछ गहने तो मिल ही नहीं रहे हैं , कई बार सुदर्शन की जेब से पैसे गायब हो जाते हैं , वो समझते हैं मैं निकाल लेती हूँ , कभी पूछते भी नहीं , मन्दिर की दराज मैं पैसे दाल देती हूँ तो वहाँ से भी गायब रहते हैं । कोई भी सामान तभी नही मिलता , जब कोई रिश्तेदार मिलने आता है , चंपा पर शक नही कर पाती ,सरजू तो बोल कर पैसे ले लेता है , चंपा !! रसोई मैं पैसे रखे थे तुमने लिए क्या ? मैं क्यो लेती मैडम !! ऊपर से भगवान देखता , सच बोलती बाई !! मांग लुंगी पर यैसे नही लेगी , अच्छा जा , पूछा ही तो है , क्यों नाटक करती है ।
सरजू बता रहा था , चंपा किसी बंगले पर खाना बनाती है पर वहाँ सिर्फ़ साहब ही रहता , कभी - कभी साहब के दोस्त भी खाने को आते , तो साहब जादा पैसा देता , रात को भी वहीं रुकने को बोलता , मना किया काम छोड़ दे नही मानती , बच्चे अंग्रेजी स्कूल मैं पढने जाते हैं , रोज नई साडी बदलती है , लड़की अंग्रेजी मैं बात करने लगी है , उसे भी अपने साथ काम पर ले जाती है , कह रही थी ,आज पार्टी है साहब ने कहा था बेटी को भी ले आना , मैडम !! मेरा कहा नही सुनती , क्या करुँ
दो दिन पहले पाँच हजार रुपये रखे थे अभी तो कोई मिलने भी नही आया , चंपा ही आई थी , सरजू को बता दिया की चंपा ही चोरी भी कर रही है , सरजू घर गया तो ताला लगा था , साहब के घर की चाबी भी चंपा के पास है लेकिन पीछे वाले दरवाजे की । दोनो रात भर घर नहीं आईं , पता चला की साहब गर्म मिजाज वाले हैं , चंपा और बेटी उनकी इश्क पोशी के लिए तैयार हो जातीं हैं , सोनू अब , बाहर भी जाने लगी है , साहब ने उसका काम चलवा दिया है , बेटी के मोबाईल पर पूरा सौदा पक्का हो जाता है , दोनो साहब के घर ही रहने लगीं हैं कभी , झुग्गी मैं आतीं हैं हाल चाल जानने के लिए , वे जानती हैं सरजू तो घोडे के पीछे लगी मक्खी सा भिनभिना रहा होगा , पर कोई बात नहीं ।
जिस्म और दौलत का खेल साहब की छत्र छाया मैं बेबाकी से चल रहा है , न समाज का भय , न परिवार का , सुबह का अख़बार उठाया तो चंपा का नाम लिखा था , पुलिस की छापा मारी का शिकार हो गईं थीं , जेल भेज दिया गया , क्या यही नई नौकरी करती थी सोनू और चंपा ? सरजू बुत बना खड़ा रह गया , शर्मिंदा था उस पत्नी के लिए जो अपनी ही बेटी को नर्क मैं झोंक चुकी थी , अब तो कोई अपना भी नहीं और न , अपना परिवार रहा , दस बरस बाद पता चला , चंपा तो नही रही पर सोनू ने किसी बुढ्ढे से शादी करली है । जाने कोन सा रास्ता होगा , उसके आगे औरत जाने का साहस नही करे , मर्यादाओं का मजाक नही बना पायेगी ।
रेनू शर्मा ..........

13 comments:

रचना गौड़ ’भारती’ said...

चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल,शेर आदि के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पारिवारिक पत्रिका भी देखें
www.zindagilive.blogspot.com

Unknown said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है, ढेरों शुभकामनायें…

प्रदीप मिश्र said...

bahut-bahut swagat hai vicharon ke silsilay ko aage badane ke liye.

Himanshu Pandey said...

चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है ।
ढेरों शुभकामनायें…

हिन्दीवाणी said...

बहुत-बहुत बधाई। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

प्रदीप मानोरिया said...

आत्मीय स्वागत है आपका सुंदर शब्द प्रवाह से संपन्न है आपकी रचना निरंतरता बनाए रखें ... समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर दस्तक दे पुन:स्वागत
प्रदीप मनोरिया Ashoknagar MP
09425132060

Unknown said...

blogging jagat mai aaapka swagat hai...aise hi likhte rahiye....

Jai Ho Magalmay ho...

संगीता पुरी said...

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे । हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Amit K Sagar said...

स्वागत है आपका. बहुत अच्छी लगी आपकी पहली पोस्ट. लिखते रहिये.

P.N. Subramanian said...

आप के स्वागत में हम भी शरीक हुए. "नौकरी" - क्या सब चंपा की विविशता थी या फिर केवल शीगजर संपन्न होने की ख्वाइश. कुछ भी रही हो, कहानी अच्छी लगी.
http://mallar.wordpress.com

Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति

Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति